अनुराधा पाटिल
निशिकांत ठकार द्वारा हिंदी में अनुवादित
निशिकांत ठकार हिंदी और मराठी के विख्यात दो-तरफ़ा समीक्षक और अनुवादक हैं। अब तक उनकी ६० से भी ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें अनुवादों की संख्या अधिकतम है। हिंदी साहित्य और भाषा के प्राध्यापक रहे ठकार ८६ वर्ष के हैं और आज भी साहित्य में सक्रिय हैं। अभी अभी उन्होंने नामदेव ढसाल की १२५ कविताओं का तथा अरुण खोपकर की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘अनुनाद’ का हिंदी अनुवाद और विनोद कुमार शुक्ल के ‘ खिलेगा तो देखेंगे ‘ का मराठी अनुवाद पूरा किया है और ये सभी पुस्तके मुद्रनाधीन हैं ।"/> निशिकांत ठकार हिंदी और मराठी के विख्यात दो-तरफ़ा समीक्षक और अनुवादक हैं। अब तक उनकी ६० से भी ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें अनुवादों की संख्या अधिकतम है। हिंदी साहित्य और भाषा के प्राध्यापक रहे ठकार ८६ वर्ष के हैं और आज भी साहित्य में सक्रिय हैं। अभी अभी उन्होंने नामदेव ढसाल की १२५ कविताओं का तथा अरुण खोपकर की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘अनुनाद’ का हिंदी अनुवाद और विनोद कुमार शुक्ल के ‘ खिलेगा तो देखेंगे ‘ का मराठी अनुवाद पूरा किया है और ये सभी पुस्तके मुद्रनाधीन हैं ।"/> निशिकांत ठकार हिंदी और मराठी के विख्यात दो-तरफ़ा समीक्षक और अनुवादक हैं। अब तक उनकी ६० से भी ज़्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें अनुवादों की संख्या अधिकतम है। हिंदी साहित्य और भाषा के प्राध्यापक रहे ठकार ८६ वर्ष के हैं और आज भी साहित्य में सक्रिय हैं। अभी अभी उन्होंने नामदेव ढसाल की १२५ कविताओं का तथा अरुण खोपकर की महत्वपूर्ण पुस्तक ‘अनुनाद’ का हिंदी अनुवाद और विनोद कुमार शुक्ल के ‘ खिलेगा तो देखेंगे ‘ का मराठी अनुवाद पूरा किया है और ये सभी पुस्तके मुद्रनाधीन हैं ।"/>