मंगलेश डबराल समकालीन हिन्दी कवियों में सबसे चर्चित नाम हैं। उनकी कविताओं में सामंती बोध एवं पूँजीवादी छल-छद्म दोनों का प्रतिकार है। भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त, डबराल की कविताएँ कईं और भाषाओं में अनुवादित और प्रकाशित हो चुकीं हैं। कविता के अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के विषयों पर नियमित लेखन भी करते हैं। नीचे दिए वीडियो में मंगलेश डबराल अपनी कुछ कविताओं का पाठ करते हैं।
जनतंत्र में लेखक के महत्व, 2019 चुनाव के मायने, और हिंदी साहित्य जगत में लेखकों की स्थिति के बारे में बात करते हुए डबराल को यहाँसुनें।
मंगलेश डबराल एक प्रमुख हिंदी कवी हैं। वह कई कविता संग्रहों के लेखक हैं जिनमें पहाड़ पर लालटेन, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु शामिल है। इसके अतिरिक्त इनके दो गद्य संग्रह लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन भी प्रकाशित हो चुके हैं। दिल्ली हिन्दी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, कुमार विकल स्मृति पुरस्कार और अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना हम जो देखते हैं के लिए साहित्य अकादमी द्वारा सन् २००० में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल की ख्याति अनुवादक के रूप में भी है।